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लौलिकी(नौलि ।)
:- लौलिकी अर्थात नौलि क्रिया के तीन भाग माने जाते हैं –
(1) मध्य नौलि
(2) वाम नौलि
(3) दक्षिण नौलि ।
4. नौलि :- नौलि क्रिया को लोकिकी भी कहा जाता है । यह उदर ( पेट ) से सम्बंधित रोगों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी होती है । इसके नियमित अभ्यास से वायु रोग, भूख की अनियमितता व अपच आदि रोग दूर होते हैं । साथ ही इससे आँतों की मालिश होने से उनको मजबूती मिलती है ।